हर साल के शुरुआत में हम अपने घर और परिवारजन की भलाई के लिए नए भगवान् से प्रार्थना करते वक़्त युक्तियों की भी इस्तेमाल करते है जो घर को खुशहाल और उसमे रहने वाले लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इस कार्य के लिए हम वास्तु शास्त्र का भी सहारा ले सकते हैं क्योकि इस हज़ारो साल पुरानी हिन्दू पध्दति के अनुसार अगर घर के निर्माण में दिशा और स्थान का सही आचरण किया जाए तो यश, आरोग्य, सुख, समृध्दि सबकुछ निश्चित प्राप्त होता है। अगर आप भी वास्तु शास्त्र के युक्तिओं को घर के अंदर शामिल करना चाहते है लकिन नहीं जानते की कहां से शुरू करना चाहिए तो हमारे पास 9 उपयोगी संकेत हैं जो एक खुश और सुखद घर बनाने में योगदान करेंगे।
अपने घर के सुखसुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए रसोईघर के स्थान को सही तरीके से सजाना पहला कदम है। रसोई में सूखे रसद और ज़रूरी खाद्य पदार्थ को सजावट करने के लिए वक़्त दें, और वहां से अनावश्यक वस्तुओं को फेंक दें। नियमित सफाई से सतहों को गंदगी या जंक से मुक्त रखा जा सकता है और जब स्वछता रहेगी तो लक्ष्मी माता का भी वास होगा।
किसी भी कठोर या सख्त आकार वाले सतहों को कोमल बनाने से घर के सारे कमरों में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन बना रहेगा और किसी भी स्थान में स्थान में विरोधी उर्जाओ का मुठभेड़ नहीं होगा। यदि आपके घर में बहुत तेज, कोणीय या नुकीली सतहें हैं, तो उन्हें वस्त्र, तकिया, कुशन इत्यादि सामान से कोमल बनाना पड़ेगा।
फर्नीचर व्यवस्था को वास्तु के प्रणलियों के मुताबिक सही ढंग से रखने से बेडरूम में सबको अच्छी नींद आएगी और बेचैनी महसूस नहीं होगी। वास्तु के शयनकक्ष सज्जा प्रणालियों के मुताबिक बिस्तर का सिरहाना कभी भी दरवाज़े की सीध में नहीं रखना चाहिए न ही इस और किसी भी खिड़की की रचना क्योंकि इससे रात भर के आराम से अर्जित ऊर्जा बाहर निकल जाएगी। खिड़कियों को बिस्तर के बगल में या पैरों की और रखना उचित होगा और आईना को भी कभी बिस्तर की ओर रुख न करने दे । यदि आपके बेडरूम में एक कार्यक्षेत्र है, तो इसे स्पष्ट और अव्यवस्थित रखें और यदि संभव हो तो काम को प्रदर्शित न करें ।
प्राकृतिक सामग्री आपको पृथ्वी के साथ जुड़ने में मदद करती है, जिससे परिवार के सद्दसयो में स्वास्थ्य और सामान्य खुशहाली बनी रहती है। समूर्ण ओर सर्वोत्तम परिणामों के लिए घर में पौधे, पानी की विशेषताओं और जैविक पदार्थों से बने सामान जोड़ें जैसे लकड़ी के फर्नीचर इत्यादि।
अपने बैठक /मेहमान क्षेत्र की व्यवस्था करते वक़्त आराम ओर सुंदरता पर धयान देने से घर के भीतर एक वांछनीय सौंदर्य का वातावरण बन सकता है। बैठने के इलाके को ठीक रौशनी के नीचे रखा जाना चाहिए ताकि सब एक दुसरे का चेहरा साफ़ देख सकें ओर अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को देखने में कोई मुश्किल न हो। यहाँ ज़ियादा फर्नीचर ओर सज्जा के सामान का भीड़ मत फैलाओ ताकि यहाँ आने जाने में मुश्किल न हो, सोफे – कॉफी टेबल के बीच चलने का पर्याप्तः स्थान होना चाहिए।
वास्तु के पद्धतियां स्नानघर के निर्माण ओर सजावट के बारे में काफी साधारण हैं जो इस स्थान को स्वच्छ और जीवाणुओं से मुक्त रखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।अच्छा होगा अगर नियमित रूप से इसे साफ करें और खुशबूदार कीटाणुनाशक का इस्तेमाल करें ताकि इस हिस्से से बदबू या कीटाणु दूर रहें।
बाथरूम के दरवाज़े को बंद रखने से गंध और कीटाणु घर के बाकी हिस्सों से दूर रहते हैं। इसे कार्य को आदत बनाने के लिए दरवाज़े पर एक मजाकिया अनुस्मारक बनाये ताकि जब भी कोई बाथरूम में प्रवेश करें या बाहर आये तो दरवाजा ज़रूर बंद करे।
आपके दालान ओर गलियारे में हवा का प्रवाह सुनिश्चित करें क्योकि सकारात्मक ऊर्जा के संचार ओर नकारात्मक ऊर्जा के नाश के लिए ऐसा करना ज़रूरी है। घर में ख़ुशी का आंदोलन बनाये रखने के लिए ज़रूरी है की घर छोटे- छोटे अवरोधों और अव्यवस्था से मुक्त रहे।
हर कमरे के लिए चुना गया रंग उस विशिष्ट स्थान के खिंचाव और चमक को प्रभावित करता है। वास्तु प्रणलियो के मुताबिक रंग ओर सज्जा के अभिन्यास का शोध करें और अपने घर के माहौल और वायुमंडल के अनुकूल सूक्ष्म रंगों को चुनें।
क्या आप कुछ और प्रेरणा चाहते हैं? देखें: 2017 में प्रचलित घर सज्जा की विचारधारा