जीवन में अच्छे और बुरे समय का चक्र चलता रहता है लेकिन कभी कभी बुरा समय लम्बी अवधि तक खींच जाता है जिससे जीवन में काफी उथल-पुथल भी मच जाता है। इसका कारण घर में खराब ऊर्जा का संचार भी हो सकता है, जिससे छुटकारा पाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं वास्तु शास्त्र के नियमो का पालन करना । नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखने ओर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर घर को साफ रखने के लिए वास्तु शास्त्र उत्कृष्ट विज्ञान बन गया है।
इस हजाज़ो साल पुराने पद्धति का लक्ष्य घर में मौजूद प्रकृति के तत्वों को क्रमबद्ध तरीके से समायोजित करना है ताकि अच्छे ऊर्जा का हमेशा प्रवाह हो सकें। विचारों की इस पुस्तक में, आप कुछ सुझाव सीख सीखेंगे जो घर या कार्यालय में शान्ति ओर समृद्धि का संतुलन प्राप्त करने में मदद करेंगे । इन वास्तु शास्त्र के पद्धतियों में प्रकृति के बुनियादी तत्वों का उपयोग करते हैं और चारो दिशाओ से ऊर्जा को ग्रहण करके घर को एक शक्ति पुंज बनाया जाता है ताकि इसमें रहने वाले लोग हमेशा खुशहाल, स्वस्थ ओर समृद्ध रहें।
वास्तु के मुताबिक दर्पण घर सज्जा में महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है, क्योंकि वे आयाम की भावना पैदा करने के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन अगर घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश और वितरण में रोक लगाना है तो आइना को कोनो और दरवाजों से दूर करके सुंदर दृश्यों की ओर व्यवस्थित किया जाना चाहिए।
कमरों के रिक्त स्थानों को सामान से लादने की गलती से बचें ओर ज़रुरत के अनुसार सिर्फ ऊर्जा के उत्पादन ओर सिरचन के बारे में सोचे । नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए एक और महत्वपूर्ण पहलू है अनावश्यक टूटे-फूटे वस्तुओं को बाहर फेंकना। इस तरह सुरिचपूर्ण फर्नीचर का अभिन्यास बैठक को व्यवस्थित ओर आकर्षक बनाता है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर का हर कोना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ओर उन घरो में जहाँ कोनों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता जिससे धुल ओर गन्दगी का बसेरा हो जाता है, वहां पर नकारात्मक ऊर्जा केंद्रित हो जाता है। इस तरह के बुरे अवसरों को जाग्रति होने से घर को बचाने के लिए यहाँ कुछ उदाहरण के लिए खूबसूरत फूलो के गमले ओर गुलदस्ते फर्श पर कोने में रखे हैं। वास्तु शास्त्र के एक ओर महत्वपूर्ण पद्धति के मुताबिक घर की बुरी ऊर्जा को खत्म करने के लिए अनावश्यक वस्तुओं को जमा नहीं करना चाहिए ओर टूटे हुए फर्नीचर इत्यादि को जल्द से जल्द बदल कर उस स्थान पर कोई नयी चीज़ रख देने में ही भलाई है।
घर का प्रवेश द्वार बड़ा होना चाहिए लेकिन उसके ठीक सामने उस कमरे से बाहर निकलने वाला या घर से बाहर निकलने वाले दरवाज़े को संरेखित न करें क्योकि ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बाहर चला जाता है । इसलिए इस तरह द्वारवाज़े के सामने जब फर्नीचर वितरित किया जाए ओर झूमर इत्यादि लगे हो तो ऊर्जा यही ठहर जाता है।
सभी लोगों को बैठक में होने वाले बातचीते और मेल-मिलाप में शामिल करने के लिए यह एक परिपत्र तरीके से फर्नीचर को सजाने का तरीका है। इस तरह,की सजावट में हर उपस्थित व्यक्ति एक दूसरे को देख सकता है।
खिड़की के नीचे या दर्पण के सामने बिस्तर न रखें क्योकि वास्तु के अनुसार इससे बिस्तर पर सोने वालो पर दो तरह के नकारात्मक असर हो सकते हैं। खिड़की के माध्यम से बुरी ऊर्जाएं दर्ज हो सकती हैं, जबकि दर्पण सोने वाले लोगों की ऊर्जा में रोकटोक करके नींद में अड़चन पैदा करती हैं। इसीलिए यहाँ इन दोनों को बिस्तर के बगल में सजाया गया है क्योकि इनका कमरे में होना भी जरूरी है ।
प्रकृति अक्सर बुरी ऊर्जा से निपटने के लिए सबसे अच्छा सहयोगी होती है जो घर पर केंद्रित होती हैं। इसलिए, वास्तु शास्त्र में, प्राकृतिक प्रकाश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।
फूलो से भरे हरे-भरे पौधे घर में बेस नकारात्मक उर्जाओ से निपटने के लिए उत्कृष्ट हैं, इसलिए शुभ माने जाने वाले पौधों की प्रजातियों के साथ छोटा सा उद्यान बनाने की सिफारिश की जाती है।कांटेदार पौधे या कैक्टस प्रजातियों को त्याग कर उन्हीं वर्गों को लेना चाहिए जिनमे फूल ओर पत्ते मौसम अनुसार खिलते रहें। अगर घर के अंदर ताज़े फूलों का गुलदस्ता सजाते हैं तो फूलों का सूखना शुरू होने के साथ ही बदल दिया जाना चाहिए।
प्रकृति अक्सर बुरी ऊर्जा से निपटने के लिए सबसे अच्छा सहयोगी होती है जो घर पर केंद्रित होती हैं इसलिए, दीवारों को पत्थर और प्रकाश के सजावट के तरीको को ज़रूर देखें।